मात पिता और गुरु चरणों.....
दोहा:- गुरु-चरणन में वन्दना,
प्रथम करूं शीश झुकाय।
बिगड़ी जनम अनेक की,
गुरु बिन कौन बनाय।।
स्थाई:- मात पिता और गुरु चरणों में,
प्रणवत बारम्बार।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
ममता ज्ञान लुटा कर,
हम पर दीना जनम सुधार।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
माता ने जो कष्ट उठाया,
कभी कर्ज ना जाये चुकाया।
उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
ममता की दी शीतल छाया।
संस्कार लेकर जिनसे हम,
कहलाये होशियार।।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
पिता ने हमको योग्य बनाया,
कमा-कमा कर अन्न खिलाया।
पढ़ा लिखा गुणवान बनाया,
जीवन पथ पर चलना सिखाया।
जोड़-जोड़ अपनी सम्पति का,
बना दिया हकदार।।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
तत्व ज्ञान गुरु ने दर्शाया,
अंधकार से दूर हटाया।
हृदय में भक्ति का दीप जलाया,
हरी मिलन का मार्ग दिखाया।
कृपा अगर उनकी ना होती,
फँस जाते मझधार।।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
हरी कृपा से नरतन पाया,
संत मिलन का काज सजाया।
प्रेम बुद्धि विधा सिखलाकर,
सब जीवों में श्रेष्ट बनाया।
जो भी इनकी शरण में आता,
कर देते उद्धार।।
हम पर किया बड़ा उपकार,
हम पर किया बड़ा उपकार।।
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