भाई रे मत दीजो मावड़ली ने
दोहा:- मात पिता परमात्मा, पति सेवा गुरु ज्ञान।
इनसे हिलमिल चलिये, वो नर चतुर सुजान।।
स्थाई:- भाई रे मत दीजो मावड़ली ने दोष,
कर्मा री रेखा न्यारी न्यारी।।
भाई रे एक माता रे पुत्र चार, चारां री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पहलो तो है राजा रे दरबार, दूजोड़ो हीरा पारखी।
भाई रे तीजो बाजारों री हाट, चौथोड़ो फेरे गूणियाँ।।
भाई रे एक माटी रा बरतन चार, चारां री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पेला में दहिड़ो बिलोय, दूजो मसाणां चालियो।
भाई रे तीजो पणिहारी रे शीश, चौथोड़ो मिदम भाडियो।।
भाई रे एक गऊ रे बछड़ा चार, चारां री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पेलो सूरज जी रो सांढ़, दूजोड़ो शिव रो नांदियो।
भाई रे तीजो घाणी वालो बैल, चौथो बिणजारे लादियो।।
भाई रे एक बेल रे तुम्बा चार, चारां री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पेलो सतगुरुजी रे हाथ, दूजोड़ो जळ जमना भरयो।
भाई रे तीजोड़ो तमबूड़ा रो बीन, चौथोड़ो भिक्षा मांग रयो।।
भाई रे कह गया दास कबीर, कर्मो रा भारा मेट दो।।
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