राज घणावर वंका ने
स्थाई:- राज घणावर वंका ने रे पहाड़ो में,
जियो घणावर वंका ने रे पहाड़ो में,
जगदम्बा हिण्डो बांधियो जी।।
राज घणावर थारी ने रे डावड़ियाँ ,
हवले रे देवे लोरिया जी।
भले भवानी थारो रे पुजारी ओ,
आरतियाँ बेगा आवजो जी।
राज घणावर बागां रो रे वनमाली,
फुलड़ाँ रा लावे सेंवरा जी।
भले भवानी दोंता रो कँवरियो,
माताजी रे मन्दिर आवियो जी।।
राज घणावर निवे रे निवे ने,
माँजी रे पाँव लागियो जी।।
भले भवानी सोना री रे थाळी में,
माताजी ने भोज परोसियो जी।।
राज घणावर जीमे ने रे चौके ने,
थाळी रे ठोकर मारी ओ जी।।
भले भवानी गायां रो रे ग्वालो,
ओ वरत मांगवा आवियो जी।।
राज घणावर मूंगा ने मोत्यां रो,
ओ थाल भर ने लावियो जी।।
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