राजेन्द्र सूरीजी को बार-बार
स्थाई:- राजेन्द्र सूरी जी को बार-बार वन्दना।
बार-बार वन्दना, हजार बार
वन्दना।।
संयम के सच्चे साधक कहावें।
भूल भटके को गुरुवर राह
दिखावे।
ऐसे योगिराज को है बार-बार
वन्दना।।
वीर प्रभु का तुमने ध्यान
लगाया।
अपने अन्तस में सच्चा ज्ञान
जगाया।
ज्ञान के भण्डार को है बार-बार वन्दना।।
संसारी जीवन त्याग बने
वैरागी।
मन की इच्छाँए साड़ी पल में
त्यागी।
त्याग प्रतिमूर्ति को बार-बार वन्दना।।
मोहनखेड़ा में धाम तिहार।
दर्शन करने आये ये जग सारा।
ऐसे गुणवंत को है बार-बार वन्दना।।
दास अशोक नित शीश नवावे।
दादा को हाथ जोड़ अरज
सुणावे।
भक्तो के आधार को बार-बार वन्दना।।
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