Balihari Jau Mhara Satguru Ne Bhajan बलिहारी जाऊं म्हारा सतगुरु ने


बलिहारी जाऊं म्हारा सतगुरु ने.........


दोहा:- गुरु गोविन्द दोनों खड़े , किसके लागूँ  पाय ।  
बलिहारी गुरुदेवजी , गोविन्द दियो मिलाय ।।

स्थाई :- बलिहारी जाऊं म्हारा सतगुरु  ने , किया भरम सब दूर । 
किया भरम सब दूर मेरा किया भरम सब दूर ।।

प्याला पाया प्रेम का रे , घोल संजीवन मूल । 
चढ़ी खुमारी प्रेम की रे , मन हो गया चकनाचूर ।।



कुमता घटी , सुमता बढ़ी , उर आनन्द भयो भरपूर ,
राग द्वेष जगत की मोटी , अब मन भयो मंजूर ।।

विमल होय परकाश लखियो , बिना शशि बिना सूर । 
मनवो मस्त रेवे अनहद में , सुन के आनंद तूर ।।

शबद सुण्या गुरुदेवजी रा , जब मुख पड गई धूड़ । 
धर्मिदास को आय मिल्या है , सतगुरु श्याम हुजूर ।।
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