कोणी भूलूला गुण थारो गुरासा
श्लोक: गुरु बिणजारा ज्ञान रा
तो लाया वस्तु
अनमोल
सोदाघर
सच्चा मिले
तो वे ले
सिरसाथे मोल ।।
गुरूसा
आया ऐ सखी
जारे
कांधे ज्ञान बन्दुक
गोला
दागिया जद ज्ञान रा
तो बीरा
भाग गया जमदूत ।।
स्थाई : अरे कोणी
भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा
मारो अबकोड़ो जन्म सुधारो ।
लख
चौरासी में गणो दुःख देखियो
मे धर-धर पशु अवतारों ।
धुप छाव में तो आ सही रे गणेरी
मारो ओ दुःख परो जी निवारो ।
धुप छाव में तो आ सही रे गणेरी
मारो ओ दुःख परो जी निवारो ।
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म सुधारो ।
अरे कोणी भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
गुरु बिन सहाय करे कुन जिव
री
तीर्थ फिरो जी हज़ारो जी
बैकुण्ठासु आने वापस भेजिया
अरे नारद सुखदेव प्यारो
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।
अरे कोणी भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
गुरु बिन ज्ञान, ज्ञान सब
जूठा
जुठो जी जग संसारो |
पति बिना नार केसो पद पावे
और विधवा रो केसो सिंगारो
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।
अरे कोणी
भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
अमे राम मिलन री राह बताओ
मेटो जी
भरम अंधारो जी ।
गुरूसा मारा पर उपकारी जी
गुरूसा मारा पर उपकारी जी
मारो
अवगुण परो रे निवारो ।।
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
अरे कोणी भूलूला गुण थारो ओ
अरे कोणी भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
बार-बार मारी आई रे विनती
वेगि
सुनो जी पुकारो ।
दास केवल पर कृपा कीजो
सर पर पंजो रालो ।
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म सुधारो ।
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म सुधारो ।
अरे कोणी
भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म
सुधारो ।।
अरे कोणी भूलूला गुण थारो ओ
गुरासा मारो अबकोड़ो जन्म सुधारो | |
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