Jambh Naam Ke Hire Moti Bhajan जम्भ नाम के हीरे मोती


जम्भ नाम के हीरे मोती 

स्थाई:- जम्भ नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली-गली। 
लूट लो जिसका दिल चाहे मैं, शोर मचाऊँ गली-गली।।

जिस जिसने ये हीरे लुटे, वो तो मालामाल हुए। 
दुनियाँ के जो हुए पुजारी, आखिर वो कंगाल हुए। 
इन हीरो को तुम भी लूट लो, मैं समझाऊँ घड़ी-घड़ी।।

अर्जुन को जब मोहन ने, गीता का सन्देश दिया। 
सत्य अहिंसा पर चलने का, कैसा ये उपदेश दिया। 
उस मारग पर तुम भी चलनामैं समझाऊँ घड़ी-घड़ी।।

मीरां का था प्रेम निराला, प्रभु को नाच नचाया था। 
जहर का प्याला पीकर उसने, इमरत कर दिखलाया था। 
उस प्याले को तुम भी पीनामैं समझाऊँ घड़ी-घड़ी।।

किशनदास का यही अफसाना, भजन सुबह और शाम करो। 
मानुष चोला बड़ा अनमोला, मत उसको वीरान करो। 
गुरु जम्भेश्वर दर्शन देंगेमैं समझाऊँ घड़ी-घड़ी।।
                               ❂❂❂❂❂

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