गुरु
देवन के देव हो
ने आप
बड़े जगदीश
बेड़े भव्
जल बिच में
गुरु
थारो विस्वा वेश |
गुरु बिन गौर अँधेरा
रे संतो -२
बिना
दीपक मिण्दरिओ ही सुनो
अब नहीं
वस्तु का वेरा हो जी ||
२
जब तक
कन्या रेवे कुवारी नहीं पुरुष का वेरा जी -२
आठो पोर
अरस माहि खेले
अब खेले
खेल गनेरा हो जी
गुरु बिन गौर अँधेरा
रे संतो
बिना
दीपक मिण्दरिओ ही सुनो
अब नहीं
वस्तु का वेरा हो जी ||
२
मिरगे री
नाव बसे किस्तूरी नहीं मिरगे को वेरा जी-२
रनी बनी
में फिरहे भटकतो
अब सुंगे
घास गनेरा हो जी
गुरु बिन गौर अँधेरा
रे संतो
बिना
दीपक मिण्दरिओ ही सुनो
अब नहीं
वस्तु का वेरा हो जी ||
२
जब तक आग
रेवे पत्थर में नहीं पत्थर को वेरा जी -२
चकमक
छोटा लागे शब्द री
अब फेके
आग चोपेरा हो जी
गुरु बिन गौर अँधेरा
रे संतो
बिना
दीपक मिण्दरिओ ही सुनो
अब नहीं
वस्तु का वेरा हो जी ||
२
अरे
रामानंद मिलिया गुरु पूरा दिया शब्द तक सारा हो -२
कहत कबीर
सुनो भाई संतो
अब मिट
गया भरम अँधेरा हो जी
गुरु बिन गौर अँधेरा
रे संतो
बिना
दीपक मिण्दरिओ ही सुनो
अब नहीं
वस्तु का वेरा हो जी ||
२
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