कन्हैया, हिण्डो घाल्यो रे हरिये बाग में.....
दोहाः वृन्दावन सो वन नहीं,
नन्द गाँव सो गाँव ।
राधा सी राणी नहीं,
कृष्ण श्याम सो नाम ॥
स्थाई: कन्हैया हिण्डो घाल्यो रे हरिये बाग में,
बाग में, बाग में।
आई आई रे सावणियारी तीज,
कन्हैया हिण्डो घाल्यो रे हरिये बाग में॥
कन्हैया सावण सुरंगो प्यारो मास रे,
मास रे, मास रे ।
चमके चमके रे आभा में प्यारी बीज,
कन्हैया सावण सुरंगो प्यारो मास रे ॥
कन्हैया रिमझिम बरसे रे रूड़ो,
मेवड़ो, मेवड़ो, मेवड़ो।
म्हारी तारा छाई चूनर जावे भीग,
कन्हैया रिमझिम बरसे रे रूड़ो मेवड़ो ॥
कन्हैया संग री सहेल्यां जोवे बाटड़ी,
बाटड़ी, बाटड़ी।
म्हासूं सासू और जेठाण्याँ जावे खीझ,
कन्हैया संग री सहेल्याँ जोवे बाटड़ी ॥
कन्हैया राधा दीवानी थारे नाम री,
नाम री, नाम री।
म्हारी कंचन जेड़ी काया जावे रीझ,
कन्हैया राधा दीवानी थारे नाम री ॥
कन्हैया प्रेम माळी री आ है वीणती,
वीणती, वीणती।
थे तो बादीला भगतां पर जावो रीझ,
कन्हैया प्रेम माळी री सुणजो वीणती ॥
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