भवसागर सूं पार उतारो... (धुन:राम मेरे घर आना)
दोहा : शिव समान दाता नहीं,
विपत्ति विडारण हार।
लज्या मोरी राखियो,
शिव बैलन के असवार॥
स्थाईः भवसागर सूं पार उतारो,
तीन लोक रा नाथ।
आसरो थारो है, भरोसो थारो है।।
नित रा सदाशिव मैं तो,
थाने मनावां, थाने मनावां।
आडावळ में धाम आपरो,
मोटो जग में नाम,
आसरो थांरो है, भरोसो थारो है।।
आप त्रिलोकी वाळा,
नाथ कहावो, नाथ कहावो।
सिंवरे सब संसार आपने,
पूजे नर और नार,
आसरो थारो है, भरोसो थारो है।।
भांग धतूरा थारे,
भोग चढ़ावां, भोग चढ़ावां।
दर्शन दो इक बार आपने,
वन्दन बारम्बार,
आसरो थांरो है, भरोसो थारो है।।
दास अशोक भोळा,
अरजी सुणावे, अरजी सुणावे।
सारो सबरा काज जगत में,
म्हारी राखो लाज,
आसरो थांरो है, भरोसो थारो है
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