शरणो सद्गुरां रो साँचो ए.....
दोहा:- सतगुरु तुमसे वीनती, नाम देवो बख्शीश।
साँचो सतगुरु जाँच के नवला, धरियो चरण में शीश।।
स्थाई:- शरणो सद्गुरां रो साँचो ए।
दर्द मिटायो इण जीव रो, दीनो जीवत पाछो ए।।
गुरु जामण इण जीव रा, भव सागर तारिया।
जम से झगड़ा जीत ने, सुख सागर रा लाया।।
शिष्य पथरी गुरु आग है, भव सागर रा लाया।
साधु जन चकमक हो रया, लागो सेजां मेला।।
आठ प्रहर गुरुदेवजी, हिरदा माँय वासो।
गिगन धुरे भी जावसी, सुन मय प्रकाशो।।
चार वेद पहुँचे नहीं, ऐसो गुरु प्रकाशो।
जुग सपना री साहिबी, गावे नवलो दासो।।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ