Rimjhim Rimjhim Karti Mhari Bhajan Lyrics रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी माताजी भजन

रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी...... 

दोहा:- अष्ट पहर चौसठ घड़ी, सिंवरूँ देवी तोय। 
पट मंदिर का खोल दे, मैया दर्शण देवो मोय।।

स्थाई:- रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे। 
आगे आगे भेरुजी ए, घुंघरिया घमकावे है। 
रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।

जगमग हार गले में चमके, कुण्डल कानो माँये जी। 
लाल रूप माथे पर बिन्दियाँ, शोभा वरणी न जाय जी।
रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।

छम छम पग में पायल बाजे, बिछियाँ री छवि न्यारी ओ। 
तारां जड़ियाचूनड़ी में, शोभा लागे प्यारी ओ। 
रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।

त्रिशूल माता रे हाथ में सोवे, नथणी नाक रे माँहि ओ। 
जगमग जोतां जागे हो माता, मोहनी रूप धराई ओ।
रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।

सिंह चढ़े ने आवो भवानी, भक्त मण्डल गावे है। 
अब तो म्हाने दर्शन देवो, भक्त घणां सुख पावे है। 
रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।
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