Hath Kabiro Nahi Aawe Bhajan Lyrics हाथ कबीरो नहीं आवे जी

हाथ कबीरो नहीं आवे जी..... 

स्थाई:- क्यूं नैणां भरमावे हाथ कबीरो नहीं आवे जी। 
             क्यूं नैणां भरमावे जी।

अमर लोक से आई अप्सरा, गल मोतियन री माला जी। 
नाच कूद ने तान बजावे, कबीर करुँ भरतारा जी। 
क्यूं नैणां भरमावे जी।

जोगी मोया जती मोया, शंकर नेजाधारी जी। 
पहाड़ो रा अवधूत मोया, अब कबीर थारी बारी जी। 
क्यूं नैणां भरमावे जी।

रूपों पेहर ने रूप बतावे, सोनो पहर रिझावे जी। 
नाच कूद ने निरत बतावे, तोई कबीर ना रिझावे जी। 
क्यूं नैणां भरमावे जी।

इन्दर बरसे ने धरती भीजे, पत्थर रो काई भीगे जी। 
मत कर सुरता आटक झाटक, तोई कबीर ना रिझावे जी।  
क्यूं नैणां भरमावे जी।

जात जुलावो नाम कबीरो, है काशी रो वासी जी। 
म्हाने मन में एड़ी आवे, एक माता दूजी मासी जी। 
क्यूं नैणां भरमावे जी।

पाँच इन्द्रियाँ वश में कीनी, बांधी काचे धागे जी। 
रामानन्द रा भणे कबीरा, सूती सुरता जागी जी। 
क्यूं नैणां भरमावे जी।
                            ✪✪✪✪✪

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