भगती रा मारग दूजा रे संतों
स्थाई:- भगती रा मारग दूजा रे संतों ! भगती रा मारग दूजा।
थोड़ी समझ पकड़ मन सुआ, कबीर केवे भगती रा मारग दूजा।।
ईट पाड़े ने मंदिर चुणाया, अनेक शीव मैं जोया।
आदू शीव री खबर न पाई, पूजा कर-कर मुआ।।
कबर खोदाय ने मजिद वणाई, अनेक पीर म्हें जोया।
आदू पीर री खबर नी पाई, बांग पाड़े-पाड़े मुआ।।
कान फड़ाय ने कुण्डल पेहरे, अनेक जोगी म्हें जोया।
आदू जोगी री खबर नी पाई, टुकड़ा माँग-माँग मुआ।।
बाकला वगाड़े ने हाकला पाड़े, भेद नी जोणे भुआ।
कहत कबीर सुणो रे भाई साधु , भोपा धूणे-धूणे मुआ।।
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