म्हने दुर्गा रूप दिखा म्हारी माँ....
स्थाई:- म्हने दुर्गा रूप दिखा म्हारी माँ,म्हने दुर्गा रूप दिखा।
आदि भवानी माँ जगदम्बा, सिंह सवारी बेगी आ।।
जनम-जनम सूं प्यासा म्हारा, नैण उडीके थांने।
निशदिन सिंवरूँ माँ जगदम्बा, दर्श दिखावो म्हाने।
भगतां री रखवाली अम्बा, भगतां ने ले कण्ठ लगा।।
इण कलजुग में माँ जगदम्बा, एक आसरो थांरो।
दुखहरणी नवदुर्गा अम्बा, कष्ट हरीजो म्हारो।
मन में कर विश्वास तिहारो, अम्बा थारे द्वार खड़ा।।
मोटो थारो नाम भवानी, तू मोटी महाराणी।
ब्रह्मा विष्णु देव मनावे, पूजे दुनियाँ सारी।
तू मोटी दातार भवानी, अन धन रा भण्डार भरा।।
महिषासुर ने मारण वाली, दुर्गा ने जग ध्यावे।
चण्ड मुण्ड ने मारण वाली, दुर्गा ने जग ध्यावे।
माँ अम्बा रा दर्शण कर ने, मनचाया फल पावे।।
महिमा नवदुर्गा री कोई, दास अशोक सुणावे।
बेड़ो अबके पर करिजो, हाथ जोड़ समझावे।
हाथ धरो मस्तक पर अम्बा, चरणां थारे शीश धरा।।
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