आओ म्हारा नटवर नागरिया
स्थाई:- आओ म्हारा नटवर नागरिया, पधारो म्हारा नटवर नागरिया।
भगतां रे क्यूं नहीं आयो रे, पधारो म्हारा नटवर नागरिया।।
कबीर काँहि थारो काको लागे, जिण पर बालध लायो रे।
खांड खोपरा गिरी छुआरा, आप लदावण आयो रे।।
करमा काँहि थारे काकी लागे, जिणरो खींचड़ खायो रे।
धाबलिया रो परदो कर ने, खींचड़ खूब खवायो रे।।
मीरा काँहि थारी मासी लागे, जिणरो दुखड़ो टारयो रे।
राणेजी विष रा प्याला भेज्या, विष इमरत कर डारयो रे।।
धना भगत के प्रीत पुरबली, जिनको खेत बुवायो रे।
बीज ले संतो ने बांट्यो, बिना बीज निपजायो रे।।
नामदेव काँहि नानो लागे, ज्यांरो छपरो छायो रे।
मार मंडासो ऊपर चढ़ गयो, लक्ष्मी बंध खिंचायो रे।।
सैन भगत काँहि सुसरो लागे, ज्यांरो कारज सारयों रे।
बगलर छोड़ी नाई बनकर, नृप को शीश संवारयो रे।।
परस्यो खाती पुरुषो होतो, जांको पेण्डो पूठो रे।
बिना बुलाया आप ही आकर, रात्यूं लकड़ो चीरयो रे।।
भीलणी काँहि थारे भुआ लागे, जिण री झूठण खायो रे।
ऊँच नीच री शंका न जाणी, रुच भोग लगायो रे।।
बाल भोग रो भूखो बाला, फिर-फिर सारे कामां रे।
नानी बाई रो मायरो भरतां, घर का लागे दामां रे ।।
कहे नरसीलो सुणो रे सांवरिया, आणो है तो आवो रे।
ब्याई सगां में भूण्डा लागां, यूं काँहि लाज गमावो रे।।
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