संत लिखमीदास जी की आरती.....
स्थाई: आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
तन मन अन्य चरण चित्त दीजे॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे।
गुरु लिखमों जी भगत अवतारी ,
प्रभु चरणों री
भगती धारी॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे।
नित प्रति कथा कीर्तन जावे,
लिखमों जी रो प्रभु
रूप बणावे॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों जी
री कीजे।
भक्ति री खेती आप निवजाई ,
दुनियाँ दरश करण ने आई॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों जी
री कीजे।
माली कुलरी कीर्ति बढ़ाई,
भक्त रूप में पदवी पाई॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों जी
री कीजे।
अमरपुरा रा भक्त अनुरागी,
संत लिखमों जी है बड़भागी॥
आरती गुरु लिखमों जी री कीजे,
आरती गुरु लिखमों
जी
री कीजे।
भक्तों री आरती जो कोई गावे,
माली संत कहे संत जन तारे॥
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