दोहा:- परमेश्वर से गुरु बड़े,
तुम देखो वेद पुराण,
शेख फरीदा यु कहे,
भाई गुरु घर हे भगवान्।।
स्थाई : अरे में तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राखो माने,
के हेलो प्रकट करू की छाने,
मारी लाज सरम सब थाने,
में तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राख लीजो माने।।
गुरु मात पिता सुख दाता,
सब स्वारथ का हे नाता,
एक तारण तिरण गुरु दाता,
जारा चार वेद जसगाता,
में तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राख लीजो माने।।
भव सागर भरियो भारो,
मने सुजत नहीं रे किनारो,
गुरु घट में दया विचारो,
मारो डूब रयो मजधारो,
में तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राख लीजो माने।।
कोई संत लियो अवतारों,
जीवो ने पार उतारो,
माने आयो भरोसो थारो,
नहीं छोड़ू चरणों थारो,
में तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राख लीजो माने।।
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