Piyaji Rahi Raat Din Roy Bhajan Lyrics पियाजी रही रात दिन रोय भजन

पियाजी रही रात दिन रोय.... 

दोहा: सपने में साजन मिले, 
मैं कर न सकी दो बात ।
सोती थी रोती उठी, 
मैं रह गई मल-मल हाथ ॥  

के ब्रेहणी ने मौत दे, 
के आपो दिखलाय ।
रैण दिवस रो दाझणो, 
म्हां सूं सह्यो न जाय ॥

स्थाई: पियाजी रही रात दिन रोय ।
दरशण री प्यास लगी मेरा मन में, 
मिलणा किस विध होय ॥

बेदरदी तुझे दया न आवे, 
किस विध समझाऊँ तोय ।
विरहणी विचार कोयल ज्यूं कूके, 
आप रया हो सोय ॥

और तो मुखड़ा जल से धोवे, 
विरहणी आँसू मुख धोय ।
हरदम तपे आवाज ज्यूं मेरी, 
बूंद पड़े सम होय ॥

और तो बीती सो बीती, 
बाकी रह गई मोय ।
तड़फ-तड़फ कर कब तक तड़फूँ, 
प्राण देऊँला खोय ॥

सायब कबीर करूणा के सागर, 
तुम करूणा निधि होय ।
कहे कमालि मेरो कछु नहीं बिगड़े, 
लोग हँसेला तोय ॥
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