म्हारो हेलो साम्भळो जी....
दोहा : जद जद भार बढ्यो धरती पर,
हरि लियो अवतार ।
पापी दुष्टां ने मारीया,
निकलंक नेजा धार ॥
स्थाई: हेलो म्हारो साम्भळो, रूणीचे रा नाथ ।
हुकम होवे तो धणिया,
आय जोडू हाथ ।
म्हारे हेलो, वारिए म्हारी अरजी,
हाँ हाँ म्हारी सायळ,
साम्भळो जियो, जियो, जियो ॥
देसूरी रो वाणियो,
यातरा ने जाय ।
सामी मिळियो चोरटो,
वो झूठी सौगन खाय ।
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
डीगी-डीगी झाड़ियाँ ने,
मधुरा बोले मोर ।
तीन तो है यातरी ने,
चौथो मिळगो चोर ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
गेरी गेरी झाड़ियाँ में,
विरंगा बोले मोर ।
मार दीनो वाणियाँ ने,
धन ले गयो चोर ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
ऊभी ऊभी अबळा करे है पुकार ।
दोहा : रामासामा आवजो,
कळजुग वेत करोड़।
अर्ज करूं अजमाल रा,
म्हारो हेलो सुणजो जरूर ॥
ऊभी ऊभी अबळा करे है पुकार ।
कठीने गयो रे म्हारो,
लीले रो असवार ।
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
दोहा : अबळारी अरदास सुणी, आया रामापीर ।
पिछम धरा रा राजवी, बाई सुगणां रा वीर ॥
लीलो लीलो घोड़लो ने,
भालो लीनो हाथ ।
सेठाणी री बेल चढ़िया,
रूणीचा रा नाथ ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
ऊबो रे तूं चोरटा,
कठीने तू जाय ।
बाणिया रो माल तू,
कितरा दिन खाय ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
फोड़ दीवी आँखियाँ ने,
काढ दीनो कोढ ।
दुनियाँ तो देखण ने बाबा,
जीवतो तू छोड़ ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
उठे नी तू सेठाणी,
धड़ सूं माथो जोड़।
बाणियो उठेला झट,
आळस मरोड़ ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
गावे दल्लो वाणियो रे,
भली राखी टेक ।
गाँव रूणीचा में,
ले लीनो भेख ॥
म्हारो हेलो साम्भळो,
रूणीचे रा नाथ ॥
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