Kabir Rahim Dohawali Bhajan Lyrics कबीर-रहीम दोहावली

कबीर-रहीम दोहावली....

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ॥

गुरु गोविन्द सब एक है, दूजा यह आकार ।
आपा मेटे हरि भजे, तब पावे दीदार ॥

प्रथम गुरु को वन्दना, दूजे आदि गणेश ।
तीजा माते शारदे, कंठ करो प्रवेश ॥

सतगुरु ऐसा कीजिये, लोभ मोह भ्रम नाँहि ।
दरिया सूना ही रहे, दीसे दरिया माँहि ॥

पूरा सतगुरु ना मिले, सूनी अधूरी सीख ।
स्वांग यति का पहर करि, घर-घर मांगे भीख ॥

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नही ठौर ॥

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ॥

रहिमन देखी बड़ेयन को, लघु न दीजे डार ।
जहाँ काम आवे सुई, क्या करे तलवार ॥

जो बड़न को लघु कहे, नहीं रहिमन घट जाय ।
गिरधर मुरलीधर कहे, कछु दुख मानत नाँय ॥

बड़े बड़ाई ना करे, बड़े न बोले बोल |
रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका मेरो मोल ॥

हीरा पड़ा जो गेल में, दुनियाँ जा में डोल ।
जहाँ हीरा का पारखी, तहाँ हीरा का मोल ॥

थोड़ी किये बड़ेयन की, बड़ी बड़ाई होय ।
ज्यूं रहीम हनुमन्त को, गिरधर कहत न कोय ॥

शब्द शब्द सब कोई कहे, शब्द का करो विचार ।
एक शब्द शीतल करे, एक शब्द दे क्षार ॥

शीतल सत्य उचारिये, अहम् आनिये नाँहि ।
तेरा प्रीतम तुझमें है, दुश्मन भी तुझ माँहि ॥

एक शब्द सुख खानी है, एक शब्द दुख रासी ।
एक शब्द बंधन कटे, एक शब्द गल फाँसी ॥

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवायो खाय ।
हीरा जनम अमोलखा, कौड़ी बदले जाय ॥

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय होके सोय ।
अनहोनी होनी नहीं होनी हो सो होय ॥

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में परलय होयेगी, बहुरि करेगा कब ॥

अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम ।
दास मलूका कह गये, सबके दाता राम ॥

राम भरोसे राम वर, राम नाम विशवास ।
सुमिरत सब मंगल कुशल, मांगत तुलसीदास ॥

रहिमन धोखे भाव से, मुख से निकले राम ।
पावन पूरण परम गति, कामाधिक को धाम ॥

राम प्रेम बिना दूबरो, राम प्रेम की तीन ।
रघुवर कबहुँ न करोगे, तुलसी ज्यूं जल मीन ॥

समय लाभ सम लाभ नहीं, 
समय चूक सम चूक ।
चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक ॥

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ।
कहे कबीर गुरु पाहिये, मन ही में परतीत ॥

साधु सराहे साधुता, यति योगिता ज्ञान ।
रहिमन साँचे शूर को, बैरी करे बखान ॥

खोद खाद धरती सहे, काट कूट वनराय ।
कुटिल वचन साधु सहे, और से सहा न जाय ॥

पढ़-पढ़कर पत्थर भई, पत्थर पूजन जाय ।
घर की चाकी ना पूजे, जां में पीसो खाय ॥
                   ✽✽✽✽✽

यह भजन भी देखे 

Likh Diya Vidhata Lekh Bhajan Lyrics

Bhiksha Dewo Ni Mata Pingala Bhajan Lyrics

Aaj Mahare Kanuda Re Kaai Hoyo Bhajan Lyrics

Ghode To Aayo Mhare Nir Bhajan Lyrics

Panchida Laal Aachi Padhiyo Thu Ulti Pati Bhajan Lyrics

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ