पियाजी, लागा है शब्दों रा बाण....
स्थाई: सतगुरु मिळे सुजाण पियाजी,
लागा है शब्दों रा बाण ॥
प्रीत कीवी पिया आपसे,
वरजे लोग अजाण ।
कहो पिया मैं कैसे सहूँ रे,
प्रीत तजूँ के प्राण पियाजी,
लागा है शब्दों रा बाण ॥
कद परणी पिव पावसी,
कद प्रगटे मोहि भाण।
घड़ी घड़ी मैं लेऊँ रे वारणा,
तन मन करूँ कुरबान पियाजी,
लागा है शब्दों रा बाण ॥
मैं अबला कछु नहीं जाणूं,
थे हो चतुर सुजान।
अन्दर तीर इश्क रा लागा,
केड़ा करूँ बखाण पियाजी,
लागा है शब्दों रा बाण ॥
अरश परश होई दरश दिखा दो,
मेटो खेंचाताण।
सिमरथ दासी आपरी रे,
अब लेवो मोहि जाण पियाजी,
लागा है शब्दों रा बाण ॥
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