जय गणेश गणनाथ दयानिधे
दोहा : कर्पूरगौर करुणावतारं ,संसारसारं भुजगेंद्रहारम।
सदा वसन्तं हृदयाविन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि।।
शान्ताकारं भुजंगसयनम पद्दनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसद्रशं मेघवर्णं शुभागम।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिर्भधर्यानगम्यं,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकेकनाथं।।
वसुदेवसूतं देवं कंसचाणूरमर्दनम।
देवकीपरमानन्दं श्रीकृष्णं वन्दे जगद्गरूम।।
स्थाई : जय गणेश गणनाथ दयानिधे,
सकल विघन कर दूर हमारे।।
प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,
तिन के पुरण कारज सारे।।
लम्बोदर गजबदन मनोहर,
कर त्रिशूल परशु वर धारे।।
रिद्धि - सिद्धि दोऊ चॅवर ढ़ुलावे,
मूषक वाहन परम शुरवारे।।
ब्रम्हादिक सुर ध्यावत मन में,
ऋषि मुनि गण सब दास तुम्हारे।।
ब्रह्मानंद सहाय करो नित,
भक्त जनो के तुम रखवारे।।
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