थारी काया रो गुलाबी रंग.....
दोहा:- माटी कहे कुम्हार से, तू क्यों रोंदे मोय।
एक दिन ऐसा आयेगा, मैं रोंदूंगी तोय।।
स्थाई:- थारी काया रो रंग उड जासी।
उड़ जासी रे फीको पड़ जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी।।
हरा हरा रुखड़ा ऊगवा रे बाद में,
पान फूल एक दिन झड़ जासी।।
सूरज ऊगियो दोपारां ने तपीयो,
सांझ पड्या सूरज ढल जासी।।
रैण बसेरो पंछी कीनो,
भोर भाई पंछी उड़ जासी।।
जग सरकस है देख मेरा भाई,
खेल खतम हुआ पछे घर जासी।।
ओ तन है भाई पाणी रो पतासो,
पाणी रो पतासो बीरा गल जासी।।
कहे देवीदास श्री भजन करो भाई,
धरम कमाई थारे सागे जासी।।
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