Pagh Re Bandh Undha Re Latke Bhajan Lyrics पग रे बॉध ने उंधा रे लटके भजन

पग रे बॉध ने उंधा रे लटके....


स्थाई: पग रे बोंध ने उंधा रे लटके, 
पछे यूं काँहि रामजी मिळता रे ।
कायानगर रा रंग महल में, 
नौबत नगारा घुरता रे ॥
हाथ जोड़ मगन मैं रहता, 
सांवरियो सन्मुख रहता रे ।
काया नगर रा रंग महल में, 
नौबत नगारा घुरता रे ॥

नकली साधु रो भेख पेर ने, 
घर-घर अलख जगाता रे ।
नहीं रे देवे तो माथा फोड़े, 
पछे यूं काँहि रामजी मिळता रे ॥

ब्रह्मा रे होय ने वेद है वाचे, 
खांधे खड़िया रखता रे ।
दूजा घरां री राय बतावे, 
पछे घर का क्यूं मर जाता है ।।

मुल्ला रे बण ने हाका पाड़ता, 
पछे यूं काँहि रामजी मिळता रे ।
कीड़ी रे पग में झांझर बाजे, 
वो ही रामजी सुणता रे ।

केवे कमालि कबीर सारी चेली, 
आवागमन क्यूं रखता है।
काया नगर रा रंग महल में, 
नौबत नगारा घुरता रे ॥
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