नबजिया वेद क्या देखे.....
स्थाई: नबजिया वेद क्या देखे,
मुझे दिल की बीमारी है ॥
कभी कफ रोग बतलावे,
कभी तासीर गर्मी की ।
जिगर का हाल तू मेरा नहीं,
जाने अनाड़ी है ॥
असर करती नहीं कोई,
दवाई कीमिया तेरी ।
न मन में चैन है तन की खबर,
सारी बिसारी है ॥
सनम की मोहनी मूरत,
बसी दिल बीच में मेरे ॥
न मन में चैन है तन की खबर,
सारी बिसारी है ॥
अगर दिलदार को मेरे,
मिलावे कभी तू मुझसे ।
ब्रह्मानन्द गुण तेरा करूँ मैं,
यादगारी है ॥
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