अजमल घर अवतारी, मैं करूँ आरती...
स्थाई: अजमल घर अवतारी,
मैं करूँ आरती थांरी ।
घर आवो कृष्ण मुरारी,
मैं करूँ आरती थांरी ।
निकळंक नेजाधारी,
मैं करूँ आरती थांरी ।।
अजमल रे घर आया,
थे बांझिया वेण फेराया।
मुख पर मूंछ संवारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
बिणजारो बाळद लायो,
थांने झूठो वचन सुणायो ।
मिसरी ने कीनी खारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
भैरव राक्षस ने मार्यो,
समदां में बोहिते ने तार्यो ।
थे लम्बी भुजा पसारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
पीर मक्का सूं आया,
अपणा बरतन मंगवाया ।
भोजन होयो है त्यारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
सुगणारे अरोधे आया,
थे मुआ बाळ जिवाया।
जुग में जोतां है भारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
राम सरोवर पाळी,
थांरा बाज रया रणुकारा ।
थांने निवण करे नर नारी,
मैं करूँ आरती थांरी ॥
हरजी भाटी जस गावे,
शरणों में शीश नमावे।
बाबा कलम राखजो म्हारी,
मैं करूँ आरती थांरी ।।
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