Gale Fulmal Gavraja Ra Pyara Bhajan गले फुलमाल गवरजा रा प्यारा

गले फुलमाल गवरजा रा प्यारा



स्थाई : गले फुलमाल गवरजा रा प्यारा,
सामी सुंडाला थाने कहता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

पेली निवण करुँ गणपत ने
सब कोई हाजिर रहता। 
धरियो ध्यान तेतीसों रे आगे
सब कोई पुरण देता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

मूल कमल में आप विराजो
अखण्ड उजाला रहता। 
भरिया भण्डार कमी नहीं आवे
तुम हो रिद्धि - सिद्धि दाता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।



विधा री देवी शारदा ने सिंवरू
हरख उमावा रहता। 
रिद्धि - सिद्धि राणी थारे संग विराजे
समर्थ सिहांसन रहता रे। 
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

आप खोजो हो बुद्धि पारकासो
समर्थ वेद लिख लेता। 
शील संतोष सतगुरुजी री महिमा
सुन में तो सुमिरण होता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।
                          ✽✽✽✽✽

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