भरोसे थारे चाले ओ.....
दोहा : गुरु देवन के देव हो,आप बड़े जगदीश।
बेडी भवजल बिच में , गुरु तारो विस्वाविश।।
स्थाई : भरोसे थारे चाले ओ ,सतगुरु मारी नाव।
सतगुरु म्हारी नाव बापजी ,धिनगुरु म्हारी नाव।।
नहीं हे मारे कुटुम कबीलो , नहीं म्हारे परिवार।
आप बिना दूजो नहीं दिखे ,जग में पालनहार।।
भवसागर ऊंडो घणो ने ,तिरु न उतरू पार।
निगे करू तो निजर नी आवे, भवसागर रे धार ।।
सतगुरु रूपी जहाज बणा लो , इण विध उतरो पार।
सुरत जाजडी ज्ञान बांसलो ,खेवट सिरजनहार।।
कहे कबीर सुणो भाई साधो !बह जातो मजधार।
रामानंद मिल्या गुरु पूरा ,बेडा कर दिया पार।।
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