वायक आया गुरुदेव रा.....
दोहा:- जमले माँहि जावणो, जागे रावलमाळ।
रुपां गुरु से अरज करे, गुरु म्हारे सामी भाल।।
स्थाई:- वायक आया गुरुदेव रा ए रूपों बाई जमले पधारो रे, हाँ।।
केम करे ने गुरु आवो रे ओ नुगरों रावळमाळ जागे रे।
निदरा मंगावो सारा शहर री रे ढोलिये सांपड़ला पोढ़ावो रे।।
इतरो करे ने रूपां हालिया रे आया रिखियो रे दरबारों रे।
सब रे संता ने रामा राम जी रे म्हारा गुरूजी ने घणी खम्मा रे।।
हाथ जोड़े ने रूपां बोलिया रे, म्हारी मोजड़ियां हेरोणी रे।
बतियों बुझोणी सारा शहर री रे, नुगरो रावलमाळ जाग्यो रे।।
सांकड़ी सेरी में सामी आवियो रे रोणी कवेला सिन ग्या था रे।
हाथ जोड़े ने रूपां बोलिया रे आपरे, फूल वीणवा ग्या था रे।।
रावलमाळ दे जी बोलिया रे रोणी फूल कठा सूं लाया रे।
पेली वाडी रे डर रे डूंगरे रे, दूजी वैकुण्ठों रे माँहि रे।
तीजी वाड़ी रे सारा शहर में रे चौथी सरगां रे माँहि रे।
रावलमाळ दे जी बोलिया रे रोणी थारो पंथडलो बतावों रे।।
पहलो मारो रे मोभी दीकरो रे पछे हंसा वालो घोड़ो रे।
तीजो मारो रे गऊ रो बाछड़ो रे चौथी चन्द्रावल रोणी रे।।
इतरो करे ने परा आवजों, पछे पंथडलो बतावूं रे।
हाथ जोड़े ने रूपां बोलिया रे म्हारो साधुड़ो रो,
अमरापुर में वासो रे।।
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