हाँ रे आखिर मरणो रे (धुन:दिन रयो थोड़ो रे )
दोहा:- युग प्रमाण संत हुए, लियो जो हरी को नाम।
कलियुग में अवतार लियो, श्री राजेश्वर भगवान।।
स्थाई:- हाँ रे आखिर मरणो रे, हाँ रे आखिर मरणो रे।
सांवरिया वाळो सिमरण करणो रे, आखिर मरणो रे।।
मात-पिता सुत बांधव गोती, सभी यहीं रह जावे रे।
अंत समय एकलड़ो जासी, किण रो शरणो रे,
आखिर मरणो रे।।
मोह जाळ में फँसकर बन्दा, विरथा जमारो खोयो रे।
अंत समय रोवण ने बैठा, जम सूं डरणो रे,
आखिर मरणो रे।।
साधु संत री सेवा करणी, दया धरम मन राखणो रे।
सुकरत काम करो मेरे बन्दे, मनड़ो हरणो रे,
आखिर मरणो रे।।
आयो थो सुकरत रे कारण, पाप घणेरो कीनो रे।
पाप कियां प्रलय में जासी, नरकां गिरणो रे,
आखिर मरणो रे।।
राजारामजी केवे दाता, किण विध पार उतरणो रे।
राम नाम हृदय में राखो, जिण सूं तिरणो रे,
आखिर मरणो रे।।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ