जिणरो परमारथ म्हारो जूनो जोगी
स्थाई:- नैनकियो बाळकियो गुरु थारे मंदिरियो चुणायो,
थारे देवलियो चुणायो।
कीड़ी वण ने पर्वत माँहि हाले गुरूजी, हो जी।।
जिणरो परमारथ म्हारो जूनो जोगी जाणे, रुंखड़ियों बाबो जोणे।
जिणरो परमारथ म्हाने देणो गुरूजी, हो जी।।
कांटू-कांटू वेलड़ी गुरु कूंपळ आगी मेल, गुरु कूंपळ आगी मेल।
सींचू-सींचू बेलड़ी कुमलीजे गुरूजी, हो जी।।
आपरे आंगणिये गुरूजी गावतरी बिहाई, गावतरी बिहाई।
गावड़ली रो बाछड़ियो नहीं धावे गुरूजी, हो जी।।
रनों रे वनों में गुरूजी रोजड़ी वीहाई, रोजड़ी वीहाई।
रोजड़ी रो बाछड़ियो नहीं धावे गुरूजी, हो जी।।
उत्तर दिशा सूं गुरूजी करसा है चालिया, करसा है चालिया।
खेत तो आलम जी वालो खावे गुरूजी, हो जी।।
मच्छेंद्र प्रताप जती गोरख बोले, गोरख बोले।
सुरता सूती ने निदरा जागे गुरूजी, हो जी।।
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