Jobaniyo Jato Rahiyo Bhajan जोबनियो जाता रयो

जोबनियो जाता रयो, अब....



स्थाई:- जोबनियो जाता रयो अब, 
आई बुढ़ापा री वार रे। 
वे दिनड़ा जाता रया अब, 
आई बुढ़ापा री वार रे।

जन्म्यो उंडी ओरियां जद, 
बाज्या सोवणियां थाल रे। 
भुआ भतीजों हुलरावियो, 
घर-घर मंगलाचार रे।

पाँच बरस रो होवियो, 
दड़ियां रमवा जाय रे। 
नित रा लावतो ओलभा, 
घर-घर री लावतो राड़ रे



बरस पचीसों रो होवियो, 
अब लारे लूम्बाली नार रे। 
टाबर-टूबर मोकळा, 
जिवड़ो पड्यो जंजाल रे।

भरी हथायां बैठता, 
अब कोई न पूछे वात रे। 
हिंगलूं ढोलिये पोढता, 
अब नहीं माचलियो में वाण रे।

बहुआं छोड्या घूंघटा, 
अब बेटा छोड़ी काण रे। 
ऊना भोजन जीमता, 
अब ठाडा टुकड़ा खाय रे

जन्तर पड़गा जोजरा, 
ढीला पड़िया हाड रे। 
जाट रूपजी बोलिया, 
परा लबद री बात रे
                 ✽✽✽✽✽     
  

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