गायां वाला कानजी रे
दोहा:- राधे तू बड़भागिनी , कौन तपस्या कीन।
तीन लोक तारण तिरण, सो है तेरे आधीन।।
स्थाई:- गायां वाला कानजी रे।
थारी गायां बे पाछी घेर, कुए पर एकली रे।।
चरती गायां न मुड़े रे, गूजरी,
घूंघट का पट खोल, कुए पर एकली रे।।
सुसरो म्हारो चौधरी रे, कानूड़ा,
सासु बड़ी छे हुशियार, कुए पर एकली रे।।
आभा चमके बीजली रे, कानूड़ा,
बरसे है मूसलधार, कुए पर एकली रे।।
बागां बोले कोयली रे, कानूड़ा,
वन में दादुर मोर, कुए पर एकली रे।।
चन्द्र सखी री वीनती रे, कानूड़ा,
भवजल पार उतार, कुए पर एकली रे।।
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