आ तो बदनामी लागे मीठी रे ( धुन:- देशड़लो रंग रूड़ो )
स्थाई:- आ तो बदनामी लागे मीठी रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
प्रेम रे मारगिये म्हारा सतगुरु मिलिया।
इण विध फिरुँ मैं अपूठी, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
सासू नणदल म्हारी रे देराणी जेठाणी।
बल जल हो गई रे अंगीठी रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
थारे शहर रा राणा लोग अण भेदू।
बात करे है अनीति रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
थांरो रामैयो मीरां म्हाने तो बतावो।
जद जाणूंला साँची प्रीत रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
म्हारो रामैयो राणा घट-घट बोले।
थारे हिये री कइयाँ फूटी रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
बाई मीरां कहे प्रभु गिरधर रा गुण।
चढ़ गयो रंग मजीठी रे, मेवाड़ी राणा,
आ तो बदनामी लागे मीठी।।
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