मनवा राखे नी विश्वास
दोहा:- सुन्दर चिन्ता मत करे, काहे को बिबलाय।
पेट दिया जिण राम ने, आप देवेला आय।।
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे ना काम।
दास मलूका कह गये, सबके दाता राम।।
स्थाई:- मनवा राखे नी विश्वास, रामजी ने भूले काँहि रे।
भूले काँहि रे, राम ने भूले काँहि रे।।
नव दस मास गरभ में भाई, आफत खाई रे।
जन्म्या पेला दूध थनां में, पीवा ताँहि रे।।
कीड़ी ने कण देवे सांवरो मण, हाथी ताँहि रे।
अजगर पड़ियो उजाड़ में, जिने पूरे सांई रे।।
जल में पूरे थल में पूरे, पहाड़ो रे माँहि रे।
चुगवा ने मोती मिले भाई रे, हंसा ताँहि रे।।
रामानन्द गुरु पूरा मिलिया, सेण बताई रे।
कहत कबीर सुणो भाई सन्तों, धोखा नाँहि रे।।
✬✬✬✬✬
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ