दोहा :- सतगुरु
चन्दन बावनां , दिन -
दिन दूणी वास ।
अज्ञान
हरण प्रकटिया , जानत है
निज दास ।।
स्थाई :- सतगुरु
आया पांवणा , परमेश्वर
आया पांवणा।
आज
म्हारे आनन्द भयो , गुरु
गोविन्द आया पांवणा
।।
हिंगलू पायां रो ढालु
ढोलियो , रेशम रा
बिछावणा ।
जिण पर राजा राम विराजे , पंखा वाव
ढुलावणा ।।
पैंप केरी फूलमाला , फुलां रा बिछावणा
।
फूली फूली मैं फिरूं म्हारे
, फूला घर
रा आँगणा ।।
चोखा रंधाऊं ऊजला रे , ऊपर घिरत
घलावणा ।
खीर खाण्ड रा इमरत भोजन , संतो ने
जीमावणा ।।
कानां में कुण्डलिया सोवे , बंशली
बजावणा ।
जल जमना ने कूद पड्या , नाग नाथ
घर आवणा ।।
मथुराजी में कंस मारियो , लंका जी
में रावणा ।
बलि रे द्वारे आप पधारिया , बावन रूप
धरावणा ।।
अड़सठ तीरथ सतगुरु शरणे , गंगा
गोमती में नावणा ।
गुरु शरणे बाई मीरा बोले , हरी हरी
गुण गावणा ।।
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