Po Saatam Ki Raat Bhajan पौ सातम की रात



पौ सातम की रात 

दोहा:- संत बड़े परमारथी, शीतल वां रा अंग। 
           तपत बुझावे औरों की, दे दे भगती रंग।।

स्थाई :- पौ सातम की रात, गुरुवर आज थांने आणो है। 
म्हारो भाग जगाणो हैपौ सातम की रात।।


मोहनखेड़ा में, धाम गुरुवर रो, आवे नित जातरी। 
भाव सूं पूजे, शीश चरणां में, गावे थारी आरती। 
भगतां रो हर काम, गुरुवर पार लगाणो है।।

पारख कुल रे मॉय, अवतार थे लीनो, केसर बाई रा लाडला। 
ऋषभदासजी तो, सम्मान पायो है, पिता है आपरा। 
नगर भरतपुर मॉय, पावन जन्म रो ठिकाणो है।।

जैन शाशन में, मन आपरो लागो, तपस्वी आप हो। 
साधन कीनी, गुरुदेव रे शरणे, महर्षि आप हो। 
बाल ब्रह्मचारी, जीवन आप रो निरालो है।।

चार खूटां में, है कीरति थारी, नमन है आप ने। 
दीन दुखियाँ रा, दुःख दूर कर दीजो, अरज है आप ने। 
आज चरणों में, अशोक द्धार थारे आयो है।।
                                 ❂❂❂❂❂

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