स्थाई:- थोड़ी किरपा आप करो दादा, थोड़ी किरपा आप करो।
योगीराज राजेंद्र सूरी जी, अन्न धन
रा भण्डार भरो।।
पौ सुद सातम रे दिन गुरुवर, पारख कुल में आया।
माता-पिता रहा घणा लाडला, रतनराज कहलाया।
तेज भलकतो मुख मण्डल पे, सुन्दर थारो रूप घणो।।
ऋषभदास जी पिता आपरा, माता केसर बाई।
गंगा प्रेमा बहनां प्यारी, माणकचन्द जी भाई।
बालपणा में शिक्षा पाई, पायो मन में ध्यान खरो।।
जैन धरम रो परचम थे तो, घर-घर में फहरायो।
जैन द्रोपदा ने गुरु ज्ञानी, मोक्ष मार्ग बतलायो।
म्हाने है आधार आपरो, घट अन्धियारो आप हरो।।
धार जिला में गाँव पदमगढ़, आप परम पद पायो।
मोहनखेड़ा नाम सूं जग में, तीरथ ओ कहलायो।
दर्शन करवा जो भी आवे, उणरा दुखड़ा दूर करो।।
योगिराज जी री महिमा कोई, दास अशोक सुणावे।
महा तपस्वी रे शरणां में, सादर शीश नवावे।
बार-बार मैं करुँ विनती, सिर पर म्हारे हाथ धरो।।
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