मोहनखेड़ा में बणियो रे
स्थाई:- मोहनखेड़ा में बणियो रे साँचा योगी रो दरबार।
योगी रो दरबार ओ युग द्रष्टा रो दरबार।।
जिन शाशन री सेवा करबा, आप जगत में आया।
पारख कुल में जन्म लियो है, रत्नराज कहलाया।।
बालपणा में रत्नराजजी, चमत्कारी दिखलाया।
महामंत्र नवकार मंत्र सूं, भूत पलीत भगाया।।
राजेंद्र सूरी जी थांरी, महिमा जग में भारी।
भक्ति भाव सूं शीश नवावे, योगी और संसारी।।
वीर प्रभु री सेवा में ही, जीवन आप लगायो।
त्याग दिनी सब माया जग री, जिन शाशन मन भायो।।
मोहनखेड़ा री धरती पर, आप मोक्ष पद पायो।
जैन धर्म में मोहनखेड़ा, तीरथ है कहलायो।।
महामानव री महिमा कोई, दास अशोक सुणावे।
चरणां री सेवा में लीजो, चरणां में सुख पावे।।
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